लेखनी कहानी -19-Mar-2024
(शेर)- पिता- भगवान दोनों खड़े, किसके लागूं मैं पाय। बलिहारी पिता आपकी, मुझको धरती पे तुम्ही लाय।।
पिता के बिना सन्तान की, होती नहीं पहचान है। पिता ही तो सन्तान का, धरती पर भगवान है।। पिता के बिना सन्तान की-------------------।।
भूल जाता है अपने सारे दुःख, अपनी सन्तान के लिए पिता। बहाता है खून पसीना बहुत, अपनी सन्तान के लिए पिता।। क्योंकि पिता की सन्तान में ही, सच में बसती जान है। पिता के बिना सन्तान की----------------------।।
सन्तान के चेहरे पे देख हंसी, होता है खुश बहुत पिता। सन्तान की उपलब्धि-विजय पर, इतराता है बहुत पिता।। लेकिन पिता की मदद बिना, नहीं पाती सफलता सन्तान है। पिता के बिना सन्तान की--------------------।।
हो जाती है सन्तान बेघर, और यतीम अपने पिता के बिना। सन्तान का नहीं होता पालन, अच्छी तरह से पिता के बिना।। पिता के बिना सन्तान का, नहीं कीमती मान- सम्मान है। पिता के बिना सन्तान की--------------------।।
शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
Gunjan Kamal
04-Apr-2024 02:10 AM
बहुत खूब
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Mohammed urooj khan
22-Mar-2024 12:17 AM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
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